भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें हमेशा लोगों की जेब पर बड़ा असर डालती रही हैं। जब भी इन ईंधनों के दाम बढ़ते हैं तो महंगाई का बोझ आम जनता पर सीधे महसूस होता है। इसी वजह से लंबे समय से लोगों की मांग रही कि पेट्रोल और डीजल को GST यानी वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में लाया जाए।
साल 2025 की शुरुआत में आखिरकार सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पेट्रोल और डीजल को GST में शामिल कर लिया। यह फैसला देशभर के उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर साबित हुआ क्योंकि इसके बाद अचानक पेट्रोल और डीजल दोनों काफी सस्ते हो गए। अब हर वर्ग का व्यक्ति, चाहे वह किसान हो, व्यापारी हो या आम नौकरीपेशा, ईंधन के कम दामों से सीधे फायदा उठा रहा है।
पेट्रोलियम उत्पादों पर अब तक अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग टैक्स लगते थे। इससे एक ही समय में अलग-अलग प्रदेशों में कीमतों में भारी फर्क देखने को मिलता था। GST के लागू होने के बाद यह अंतर समाप्त हो गया है और पूरे देश में अब कीमतें लगभग एक समान हो गई हैं।
Petrol-Diesel Price Update
GST लागू होने से पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतों में केंद्रीय आबकारी शुल्क, राज्य सरकारों के वैट और अन्य टैक्स शामिल होते थे। इन सब टैक्सों के कारण ही लोगों को पेट्रोल 100 रुपये से ऊपर और डीजल भी लगभग इतने ही दाम पर मिलता था। टैक्स का बोझ इतना अधिक था कि वास्तविक कीमत से कहीं ज्यादा भुगतान उपभोक्ता को करना पड़ता था।
जब इन्हें GST में शामिल किया गया तो सारे अतिरिक्त टैक्स हट गए। अब केवल एक निर्धारित दर से ही टैक्स लगाया जा रहा है। जैसे ही यह बदलाव हुआ, पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतें अचानक 20 से 25 रुपये प्रति लीटर तक गिर गईं। इससे हर उस वर्ग को बड़ी राहत मिली जो नियमित रूप से वाहनों या मशीनों के लिए ईंधन का इस्तेमाल करता है।
आम जनता के लिए बड़ी राहत
इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा आमजन को मिला है। पहले जहां दोपहिया वाहन चलाने वाले छोटे परिवार भी ईंधन खर्च से परेशान रहते थे, वहीं अब उन्हें प्रति लीटर काफी कम दाम पर पेट्रोल मिल रहा है। यही नहीं, छोटे व्यापारियों और टैक्सी-ड्राइवरों की भी बड़ी समस्या दूर हो गई है।
किसानों के लिए भी यह बदलाव किसी सौगात से कम नहीं है। खेती के लिए उपयोग में आने वाले ट्रैक्टर और डीजल पंप अब कम दाम पर चलने लगे हैं। इसका असर सीधा उत्पादन लागत पर पड़ा है और उम्मीद है कि आगे चलकर खाद्य पदार्थों के दाम भी कुछ हद तक काबू में रहेंगे।
परिवहन और उद्योग क्षेत्र पर असर
परिवहन क्षेत्र में डीजल खर्च सबसे बड़ी चुनौती रहा है। बसें, ट्रक और माल ढोने वाले वाहन डीजल पर निर्भर रहते हैं। पहले यात्रा किराए और मालभाड़े की दरें लगातार बढ़ रही थीं क्योंकि डीजल महंगा था। लेकिन GST लागू होने के बाद अब किरायों और माल ढुलाई की लागत में काफी कमी आ सकती है।
इसी तरह उद्योगों में भी, खासकर वे उद्योग जो डीजल जनरेटरों पर चलते हैं, अब सस्ती ऊर्जा का सीधा फायदा उठा पाएंगे। उत्पादन की लागत घटने से रोजगार के अवसर भी बढ़ने की संभावना बन रही है और बाजार में वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं।
सरकार का नजरिया और योजना
सरकार का कहना है कि पेट्रोल और डीजल को GST में शामिल करना जनता को राहत देने के साथ-साथ टैक्स सिस्टम को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब राज्यों को उनके हिस्से का टैक्स भी पारदर्शी तरीके से मिलेगा और उपभोक्ता को भी यह समझ आएगा कि उसे किस मद में कितना भुगतान करना है।
इसके साथ ही सरकार का मानना है कि देश की आर्थिक रफ्तार बढ़ाने के लिए ऊर्जा की किफायती कीमतें बहुत जरूरी हैं। जब ईंधन सस्ता होगा तो परिवहन आसान होगा, उद्योग की लागत घटेगी और महंगाई पर भी नियंत्रण रखा जा सकेगा। लंबी अवधि में यह फैसला देश की अर्थव्यवस्था के लिए मजबूत सहारा साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
पेट्रोल और डीजल को GST में शामिल करने का निर्णय जनता के लिए ऐतिहासिक राहत लेकर आया है। अब पूरे देश में एक समान कीमतें लागू हो गई हैं और ईंधन पहले से काफी सस्ता हो गया है। इससे न सिर्फ आम आदमी की जेब पर बोझ कम हुआ है बल्कि उद्योग, परिवहन और कृषि क्षेत्र को भी नई ऊर्जा मिली है।
यह कदम आने वाले समय में न केवल महंगाई पर नियंत्रण लाने में मदद करेगा बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। वास्तव में यह फैसला ईंधन की कीमतों को स्थिर और पारदर्शी बनाने की दिशा में सबसे बड़ा बदलाव साबित हुआ है।